
भारतीय उर्वरक उद्योग के पथ-प्रदर्शक
डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने 1993 में इफको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला और सहकारिता जगत के नए युग की शुरुआत की।
डॉ. उदय शंकर अवस्थी

परिवर्तन के अग्रदूत

प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रासायनिक इंजीनियर बने डॉ. अवस्थी विश्व प्रसिद्ध पेशेवर और वैश्विक रासायनिक उर्वरक क्षेत्र के आधिकारिक विद्वान हैं। लगभग 5 दशक के अनुभव के साथ, डॉ. अवस्थी ने उर्वरक उत्पादन के क्षेत्र में इफको को विश्व की शीर्ष संस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सच्चे मायनों में दूरदर्शी, डॉ. अवस्थी ने आधुनिक तकनीक को पारंपरिक ज्ञान के साथ लाकर इफको के विकास को गति दी है। सिर्फ 20 वर्षों के उनके कार्यकाल (1992-93 से 2013-14) में इफको की उत्पादन क्षमता 292% बढ़ी और 75.86 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक पहुँच गई; निवल मूल्य 688% बढ़कर 6510 करोड़ और कारोबार 2095% बढ़कर 20846 करोड़ हो गया।

‘जनता के सीईओ’ डॉ. अवस्थी मानव के संकल्प की शक्ति में दृढ़ विश्वास रखते हैं। आर्थिक विकास का फल समाज के निचले हिस्से तक पहुँच सके, इसके लिए वे लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में, उन्होंने सबसे आधुनिक आर्थिक प्रथाओं को किसानों के घर-घर तक पहुंचाया है, ताकि उन्हें अपनी उपज के लिए विभिन्न लाभकारी और गैर-लाभकारी अवसरों द्वारा सर्वोत्तम लाभ मिल सके।
इफको का आधुनिकीकरण अभियान
व्यावसायिकता और पारदर्शिता का साथी
डॉ. अवस्थी ने इफको को विश्व-प्रसिद्ध, पेशेवर रूप से कामयाब सहकारी समूह के रूप गढ़ने की शुरुआत की। उन्होंने सभी मौजूदा प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने, उन्हें पारदर्शी बनाने और बदलाव का नेतृत्व करने के लिए अधिकारियों को सशक्त बनाने की पहल की।
उत्पादन दक्षता में सुधार
डॉ. अवस्थी ने उदारीकरण के बाद के युग में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देने के साथ विज़न 2020 तैयार किया। उनकी पहल में कई ऊर्जा-बचत परियोजनाएं, यूरिया संयंत्रों की डी-बॉटलिंग और नेफ्था आधारित इकाइयों को गैस आधारित इकाइयों में परिवर्तित करना, परिचालन दक्षता में सुधार और इसे उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बराबर करने के लिए तैयार करना शामिल था।
व्यवसाय का विविधीकरण
डॉ. अवस्थी के नेतृत्व में इफको ने व्यापार के कई रास्तों पर कदम बढ़ाया और कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक निवेश किए। इनके कार्यकाल के दौरान, इफको ने समग्र रूप से गरीबों के उत्थान और समाज की बेहतरी के लिए काम करने हेतु कई गैर-लाभकारी संस्थाओं की स्थापना की।
इफको का कार्यक्षेत्र
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उर्वरक
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सामान्य बीमा
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रसद
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किसान एसईजेड
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ग्रामीण खुदरा
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ऑनलाइन मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज
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ग्रामीण दूरसंचार
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जैविक कृषि-आदान
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ग्रामीण सूक्ष्म वित्त
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जमे हुए खादय पदार्थ
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कृषि रसायन

इफको को वैश्विक मानचित्र पर लाना
डॉ. अवस्थी की दूरदर्शिता और प्रेरणा ने इफको को वैश्विक मानचित्र पर ला दिया है। इसका परिणाम है कि ओमान, जॉर्डन और दुबई में उर्वरकों से परे इफको के कई संयुक्त उपक्रम है।

जनता के सी.ई.ओ.
डॉ. अवस्थी की वास्तविक सफलता को देखना है तो उस भरोसे को देखिए जो किसानों ने उन पर जताया है। उनके तत्वावधान में, सदस्यों की संख्या बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई है। किसानों की 36,000 सहकारी समितियों के साथ इफको दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से एक है। इफको ग्रामीण भारत का बहुत मशहूर नाम है।

विश्लेषणात्मक और उन्नत मस्तिष्क के स्वामी डॉ. अवस्थी की ललित कला में विशेष रुचि है। भारतीय श्रेष्ठ कलाकृतियों को संरक्षित करने के लिए उन्होंने इफको में अपनी तरह का एक अलग कला निधि बनाया है साथ ही भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने के लिए एक पुरस्कार भी स्थापना भी की है। भारत में सहकारिता आंदोलन के ध्वज को सबसे ऊँचे पायदान पर फहरा रहे डॉ. अवस्थी इफको में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।
इफको के संस्थापक पिता
एक सच्चे अग्रदूत, श्री. पॉल पोथेन ने इफको के पहले प्रबंध निदेशक के रूप में
सहकारी के लिए एक ठोस नींव रखी।
(1916-2004)

भारतीय उर्वरक उद्योग के मार्गदर्शक
8 जनवरी 1916 को जन्मे श्री. पॉल पोथेन ने 1935 में मद्रास विश्वविद्यालय से स्नातक किया, 1940 में मैसूर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पूरी की। उन्होंने 1965-66 में कोलंबो योजना के तत्वावधान में कनाडा में एक उन्नत पाठ्यक्रम भी किया।
एक उद्योगपति और भारत में उर्वरक उद्योग के अग्रदूतों में से एक, श्री. पॉल पोथेन ने भारत में बड़े पैमाने पर तीन उर्वरक विनिर्माण फर्मों की स्थापना और संचालन किया। श्री. पोथेन ने 1944 में एक वरिष्ठ प्रबंधन पद पर उर्वरक और रसायन त्रावणकोर लिमिटेड (FACT) के साथ अपना करियर शुरू किया, 1965 में प्रबंध निदेशक के रूप में FACT इंजीनियरिंग एंड डिजाइन ऑर्गनाइजेशन (FEDO) की स्थापना की; अंततः 1968 में तीन साल बाद 1968 में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (IFFCO) के संस्थापक प्रबंध निदेशक के रूप में शामिल हुए।
श्री. पॉल पोथेन ने सहकारी के मूल मूल्यों और सिद्धांतों को स्थापित करके इफको के विकास के लिए एक मजबूत नींव रखी, जिसने किसानों की प्रगति को अपने प्रमुख निर्देश के रूप में रखा। भारतीय कृषि क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

इफको श्री. पॉल पोथेन का पुण्यस्मरण
श्री. पॉल पोथेन के प्रति प्यार और कृतज्ञता दिखाने के लिए इफको परिवार ने आंवला में टाउन का नाम 'पॉल पोथेन नगर' रखा। जो इफको और समाज के लिए उनके अभूतपूर्व योगदान की याद दिलाता है।
किसानों के साथ बातचीत करते श्री. पॉल पोथेन
किसानों के साथ बातचीत करते श्री. पॉल पोथेन की सबसे शुरुआती क्लिक्स में से एक।

अपने करियर के दौरान, श्री. पॉल पोथेन ने कई शोध और तकनीकी पत्र लिखे और कई विशेषज्ञ समितियों का नेतृत्व किया। वह पुरातत्व, वास्तुकला, इतिहास, साहित्य और खेल में भी गहरी रुचि रखते थे।