
3 नवंबर 1967 को इफको को एक बहु-इकाई सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया। पिछले 53 वर्षों में, भारत के ग्रामीण समुदाय को सशक्त बनाने के अपने उद्देश्य पर खरा उतरते हुए, इफको भारत में सबसे सफल सहकारी समितियों में से एक के रूप में उभरा है। हम दृढ़ता से मानते हैं कि सहकारी मॉडल प्रगति और समृद्धि का सच्चा अग्रदूत है।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारी एलायंस (आईसीए) सहकारी को संयुक्त रूप से स्वामित्व और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी आम आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से एकजुट हुए व्यक्तियों के एक स्वायत्त संघ के रूप में परिभाषित करता है।
(स्रोत: आईसीए)
सहकारी मॉडल, सरलतम स्पष्टीकरण में, श्रमिक को उद्यम का मालिकाना हक़ प्रदान करता है। यह अपने मूल सिद्धांतों के विरोध के बिना पूंजीवादी मानसिकता की यथास्थिति को चुनौती देता है; एक पारिस्थितिकी तंत्र जो साझा लाभ, साझा नियंत्रण और साझा हितलाभ पर काम करता है। सहकारी मॉडल न केवल मुनाफा देता है, बल्कि पूरे समाज को प्रगति प्रदान करता है।
सहकारी मॉडल की आधुनिक अवधारणा ने भारत में स्वतंत्रता के बाद ही एक मुकाम हासिल किया। लेकिन, इसकी जड़ों प्राचीन भारतीय शास्त्रों “महा उपनिषद” में उल्लिखित संस्कृत श्लोक ‘वासुदेव कुटुम्बकम’ अर्तार्थ संपूर्ण विश्व में एक ही बड़े परिवार है ‘ इस दर्शन से जुडी है। सहकारिता मॉडल भारतीय जीवन शैली में युगों से गहराई से जुड़ा हुआ।

स्वतंत्रता पर्यंत विश्व ने एक प्रगतिशील भारत के उद्भव को देखा, जो औद्योगिक क्रांति की लहर की सवारी करने के लिए उत्सुक था। इस नई-नई महत्वाकांक्षा ने सहकारी आंदोलन को और मजबूत किया, जिससे उन्हें 5-वर्षीय योजनाओं का एक अभिन्न अंग बना दिया गया।
1960 के दशक तक, सहकारी आंदोलन ने देश में कृषि, डेयरी, उपभोक्ता आपूर्ति और यहां तक कि शहरी बैंकिंग के कई दिग्गजों के साथ एक मजबूत पायदान स्थापित किया था।

स्वतंत्र भारत आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए नई ऊर्जा से ओत-प्रोत था। सहकारी समितियों ने विकास के मॉडल में महत्व हासिल किया और हमारी पंच-वर्षीय आर्थिक योजनाओं का एक अभिन्न अंग बन गया। प्रथम पंच-वर्षीय योजना (1951-1956) की सफलता का श्रेय सहकारी संगठनों द्वारा क्रियान्वयन को दिया गया। इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अलग खंड बना।
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

सहकारिता भारतीय जीवन प्रणाली का बहुत महत्वपूर्ण और केंद्रीय तत्व रहा है। इसके आधार पर हमें आर्थिक नीति के पुनर्निर्माण की कोशिश करनी चाहिए।
श्री दीनदयाल उपाध्याय दूरदर्शी विचारक

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